कड़कड़ाती ठंड में उत्तराखंडियों का दिल्ली में धरना, कैंडल मार्च
Uttarakhand News, New Delhi - रामगंगा सड़क आंदोलन के बैनर तले उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले की सल्ट क्षेत्र की जनता ने सड़क-निर्माण की मांग को लेकर 28 दिसंबर 2014 के दिन कड़कड़ाती ठंड में राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दिया। प्रदर्शनकारियों की शिकायत है कि क्षेत्र के लोगों की दशकों पुरानी मांग और सन 2003 में सड़क-निर्माण को मिली स्वीकृति के बावजूद सड़क अभी तक नहीं बनी है, जिससे इलाके के लगभग 50 हजार लोगों को मध्ययुगीन हालात में जीवन बिताना पड़ रहा है।
पिछले पचास सालों में सल्ट क्षेत्र की जनता ने उत्तर प्रदेश का शोषणकारी शासन भी देखा और उत्तराखंड राज्य बनने के बाद अपने तमाम विकासपुरुषों के खोखले आश्वासनों भरी राजनीति भी देख ली, पर सड़क नहीं बनी।
मजबूर होकर सल्ट क्षेत्र की जनता को दिसंबर माह की कड़कड़ाती ठंड में जंतर-मंतर पर धरना देना पड़ा। ऐसा भी नहीं है कि उत्तराखंड के नेता सल्ट वासियों की इस समस्या से अवगत न हों। सन 1952 से ही इलाके के लोग सड़क निर्माण की मांग करते आ रहे हैं। तब से जनता की भी और नेताओं की भी कई पीढ़ियां बदल गई, पर मानों शासन सड़क न बनाने पर अड़ा हुआ है।
अपने ड्राइंगरूम में चाय-कॉफी की चुसकी के साथ ऐसे धरना-प्रदर्शनों और कैंडल-मार्चों की खबरें और लेख पढ़ने वाले नेताओं को चाहिए कि जनता की समस्याओं के प्रति संवेदनहीनता का रवैया छोड़ दे। वरना जो जनता सत्ता तक पहुंचाती है, वही बाहर का रास्ता दिखाने में देर नहीं लगाती।
पिछले पचास सालों में सल्ट क्षेत्र की जनता ने उत्तर प्रदेश का शोषणकारी शासन भी देखा और उत्तराखंड राज्य बनने के बाद अपने तमाम विकासपुरुषों के खोखले आश्वासनों भरी राजनीति भी देख ली, पर सड़क नहीं बनी।
मजबूर होकर सल्ट क्षेत्र की जनता को दिसंबर माह की कड़कड़ाती ठंड में जंतर-मंतर पर धरना देना पड़ा। ऐसा भी नहीं है कि उत्तराखंड के नेता सल्ट वासियों की इस समस्या से अवगत न हों। सन 1952 से ही इलाके के लोग सड़क निर्माण की मांग करते आ रहे हैं। तब से जनता की भी और नेताओं की भी कई पीढ़ियां बदल गई, पर मानों शासन सड़क न बनाने पर अड़ा हुआ है।
अपने ड्राइंगरूम में चाय-कॉफी की चुसकी के साथ ऐसे धरना-प्रदर्शनों और कैंडल-मार्चों की खबरें और लेख पढ़ने वाले नेताओं को चाहिए कि जनता की समस्याओं के प्रति संवेदनहीनता का रवैया छोड़ दे। वरना जो जनता सत्ता तक पहुंचाती है, वही बाहर का रास्ता दिखाने में देर नहीं लगाती।
Related links:
Comments
Post a Comment