योग को विकास का अस्त्र बनाएं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री
Uttarakhand News, Dehradun - उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पिछले दिनों बीजापुर अतिथिगृह में डॉ नवीन चंद्र भट्ट की योग पर लिखी एक पुस्तक का विमोचन किया।
उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए रावत ने कहा कि सरल भाषा में लिखी गई यह किताब, 'योग और स्वास्थ्य,' योग के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डालेगी तथा समाज के लिए लाभदायक सिद्ध होगी। दरअसल 'योग और स्वास्थ्य', लेखक भट्ट के गहन चिंतन, मनन व रिसर्च का परिणाम है और इसमें उन्होंने योग के बारे में विविध जानकारियां समाहित की हैं। भट्ट ने कहा कि योग एक ऐसी विद्या है, जो इंसान की सेहत के लिए तो ज़रूरी है ही, उसके सर्वांगीण विकास के लिए भी अतिमहत्वपूर्ण साबित होती है।
इस अवसर पर प्रो. एच. एस. धामी, उत्तराखंड पर्यटन मंत्री दिनेश धनै, विधायक राजेश शुक्ला, मुख्यमंत्री के मीडिया प्रभारी सुरेंद्र कुमार, समन्वयक जनसंपर्क जसवीर सिंह आदि भी उपस्थित थे।
आप कहेंगे कि एक पुस्तक के विमोचन में ऐसी क्या खास बात है कि हम उस पर इतना विचार कर रहे हैं - मुख्यमंत्री तो अनेक पुस्तकों का विमोचन अक्सर करते ही रहते हैं। नहीं, यह केवल एक किताब का प्रश्न नहीं है, यहां महत्व इस बात का है कि पुस्तक योग पर लिखी गई है।
यह अच्छी बात है कि आज भी उत्तराखंड में योग पर काफी कुछ लिखा और पढ़ा जा रहा है। उत्तराखंड योग की जन्मभूमि है। यह इस पौराणिक राज्य की कुछ सबसे महान और अमूल्य धरोहरों में से एक है। शायद बहुत से लोग यह नहीं जानते कि ऋषिकेश को दुनिया में योग की राजधानी के रूप में जाना जाता है। हजारों की संख्या में विदेशी हस्तियां, जिनमें हॉलीवुड अभिनेता-अभिनेत्रियां और महान पॉप गायक भी शामिल हैं, योग सीखने ऋषिकेश आती रही हैं।
ईश्वर ने उत्तराखंड के अतुलनीय प्राकृतिक संसाधन, तो दिए ही हैं, विशिष्ट संस्कृति का उपहार भी प्रदान किया है और योग उत्तराखंड की संस्कृति का अटूट हिस्सा है। यह दुख की बात है कि योग पर आधारित टूरिज़म का विकास उत्तराखंड में उस तरह से नहीं हो सका है, जैसा कि केरल व कुछ अन्य राज्यों में हुआ है।
हमारे पास योग के अनुकूल वातावरण है, पहाड़ हैं, जंगल हैं, शुद्ध हवा है, गंगा और यमुना का जल है, जड़ी-बूटियां हैं - वह सबकुछ है, जो विदेशी पर्यटकों को खींच लाने के लिए ज़रूरी होता है। कुछ नहीं है तो इन्फ्रास्ट्रकचर और मूलभूत सुविधाएं। हमें अच्छी सड़कें चाहिए, अच्छे होटल चाहिए, 24 घंटे बिजली की सुविधा चाहिए और चाहिए यातायात के बेहतर साधन।
केवल भाषणों में योग की महिमा का बखान करने के बजाय यदि उत्तराखंड सरकार योग के पुनरुत्थान के लिए विशेष योजनाएं बनाए और उनका कुशलता से क्रियान्वयन करे, तो वह राज्य और राष्ट्र दोनोें के लिए बेहतर होगा।
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उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए रावत ने कहा कि सरल भाषा में लिखी गई यह किताब, 'योग और स्वास्थ्य,' योग के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डालेगी तथा समाज के लिए लाभदायक सिद्ध होगी। दरअसल 'योग और स्वास्थ्य', लेखक भट्ट के गहन चिंतन, मनन व रिसर्च का परिणाम है और इसमें उन्होंने योग के बारे में विविध जानकारियां समाहित की हैं। भट्ट ने कहा कि योग एक ऐसी विद्या है, जो इंसान की सेहत के लिए तो ज़रूरी है ही, उसके सर्वांगीण विकास के लिए भी अतिमहत्वपूर्ण साबित होती है।
इस अवसर पर प्रो. एच. एस. धामी, उत्तराखंड पर्यटन मंत्री दिनेश धनै, विधायक राजेश शुक्ला, मुख्यमंत्री के मीडिया प्रभारी सुरेंद्र कुमार, समन्वयक जनसंपर्क जसवीर सिंह आदि भी उपस्थित थे।
आप कहेंगे कि एक पुस्तक के विमोचन में ऐसी क्या खास बात है कि हम उस पर इतना विचार कर रहे हैं - मुख्यमंत्री तो अनेक पुस्तकों का विमोचन अक्सर करते ही रहते हैं। नहीं, यह केवल एक किताब का प्रश्न नहीं है, यहां महत्व इस बात का है कि पुस्तक योग पर लिखी गई है।
यह अच्छी बात है कि आज भी उत्तराखंड में योग पर काफी कुछ लिखा और पढ़ा जा रहा है। उत्तराखंड योग की जन्मभूमि है। यह इस पौराणिक राज्य की कुछ सबसे महान और अमूल्य धरोहरों में से एक है। शायद बहुत से लोग यह नहीं जानते कि ऋषिकेश को दुनिया में योग की राजधानी के रूप में जाना जाता है। हजारों की संख्या में विदेशी हस्तियां, जिनमें हॉलीवुड अभिनेता-अभिनेत्रियां और महान पॉप गायक भी शामिल हैं, योग सीखने ऋषिकेश आती रही हैं।
ईश्वर ने उत्तराखंड के अतुलनीय प्राकृतिक संसाधन, तो दिए ही हैं, विशिष्ट संस्कृति का उपहार भी प्रदान किया है और योग उत्तराखंड की संस्कृति का अटूट हिस्सा है। यह दुख की बात है कि योग पर आधारित टूरिज़म का विकास उत्तराखंड में उस तरह से नहीं हो सका है, जैसा कि केरल व कुछ अन्य राज्यों में हुआ है।
हमारे पास योग के अनुकूल वातावरण है, पहाड़ हैं, जंगल हैं, शुद्ध हवा है, गंगा और यमुना का जल है, जड़ी-बूटियां हैं - वह सबकुछ है, जो विदेशी पर्यटकों को खींच लाने के लिए ज़रूरी होता है। कुछ नहीं है तो इन्फ्रास्ट्रकचर और मूलभूत सुविधाएं। हमें अच्छी सड़कें चाहिए, अच्छे होटल चाहिए, 24 घंटे बिजली की सुविधा चाहिए और चाहिए यातायात के बेहतर साधन।
केवल भाषणों में योग की महिमा का बखान करने के बजाय यदि उत्तराखंड सरकार योग के पुनरुत्थान के लिए विशेष योजनाएं बनाए और उनका कुशलता से क्रियान्वयन करे, तो वह राज्य और राष्ट्र दोनोें के लिए बेहतर होगा।
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