Uttarakhand News - एक भाई घनेंद्र सिंह रावत ने आज मुझे किसी समाचारपत्र की कटिंग भेजी, पर कहा कुछ नहीं। उसमें लिखे समाचार को पढ़ने के बाद मुझे समझ में आ गया कि रावत जी को औऱ कुछ बताने की जरूरत भी नहीं थी।
दरअसल समाचार में बताया गया था कि गढ़वाल के यमकेश्वर प्रखंड के ग्रामीण गंगा भोगपुर में क्रमिक अनशन में बैठे हैं। ग्रामीणों की तीन-सूत्री मांगें हैं - बीन नदी पर पुल, कौड़िया-किमसार मौटरमार्ग और बाढ़ सुरक्षा के लिए तटबंध का निर्माण। उक्त समाचार के अनुसार राजाजी राष्ट्रीय टाइगर रिजर्व पार्क प्रभावित संघर्ष समिति का क्रमिक अनशन 13 वें दिन भी जारी रहा। शनिवार, 23 मई, को शाम के वक्त अनशनकारी सरिता देवी की तबियत इतनी खराब हो गई कि उन्हें ऋषिकेश स्थित राजकीय चिकित्सालय पहुंचाना पड़ा। अनशनकारियों ने घटना की जानकारी सिविल पुलिस व राजस्व पुलिस को भी दी, पर खबर के अनुसार देर शाम तक कोई वहां नहीं पहुंचा।
आश्चर्य और उससे भी ज्यादा यह दुख की बात है कि ऐसी मांगों के लिए उत्तराखंंड की जनता को अनशन करना पड़ता है। ये हालात केवल यमकेश्वर ब्लॉक के नहीं हैं। अल्मोड़ा के सल्ट क्षेत्र की जनता ने भी कुछ महीनों पूर्व दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन किया था और कैंडल-मार्च निकाला था। टिहरी गढ़वाल की जनता डोबरा-चांटी पुल के निर्माण की मांग को लेकर रैलियों पर रैलियां कर रही है।
हरीश रावत के राज में उत्तराखंड की जनता आज त्राहि-त्राहि कर रही है। राज्य सरकार उत्तराखंड को विकास के पथ पर पीछे धकेलने में जुटी प्रतीत हो रही है। उत्तराखंड के लोग पानी, बिजली, शिक्षक और रोजगार के अभाव से त्रस्त हैं। आपदाग्रस्त क्षेत्रों में खनन के ठेके बांटने में जुटी हरीश रावत सरकार क्या जनता के हित को प्राथमिकता देना सीखेगी?
दरअसल समाचार में बताया गया था कि गढ़वाल के यमकेश्वर प्रखंड के ग्रामीण गंगा भोगपुर में क्रमिक अनशन में बैठे हैं। ग्रामीणों की तीन-सूत्री मांगें हैं - बीन नदी पर पुल, कौड़िया-किमसार मौटरमार्ग और बाढ़ सुरक्षा के लिए तटबंध का निर्माण। उक्त समाचार के अनुसार राजाजी राष्ट्रीय टाइगर रिजर्व पार्क प्रभावित संघर्ष समिति का क्रमिक अनशन 13 वें दिन भी जारी रहा। शनिवार, 23 मई, को शाम के वक्त अनशनकारी सरिता देवी की तबियत इतनी खराब हो गई कि उन्हें ऋषिकेश स्थित राजकीय चिकित्सालय पहुंचाना पड़ा। अनशनकारियों ने घटना की जानकारी सिविल पुलिस व राजस्व पुलिस को भी दी, पर खबर के अनुसार देर शाम तक कोई वहां नहीं पहुंचा।
आश्चर्य और उससे भी ज्यादा यह दुख की बात है कि ऐसी मांगों के लिए उत्तराखंंड की जनता को अनशन करना पड़ता है। ये हालात केवल यमकेश्वर ब्लॉक के नहीं हैं। अल्मोड़ा के सल्ट क्षेत्र की जनता ने भी कुछ महीनों पूर्व दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन किया था और कैंडल-मार्च निकाला था। टिहरी गढ़वाल की जनता डोबरा-चांटी पुल के निर्माण की मांग को लेकर रैलियों पर रैलियां कर रही है।
हरीश रावत के राज में उत्तराखंड की जनता आज त्राहि-त्राहि कर रही है। राज्य सरकार उत्तराखंड को विकास के पथ पर पीछे धकेलने में जुटी प्रतीत हो रही है। उत्तराखंड के लोग पानी, बिजली, शिक्षक और रोजगार के अभाव से त्रस्त हैं। आपदाग्रस्त क्षेत्रों में खनन के ठेके बांटने में जुटी हरीश रावत सरकार क्या जनता के हित को प्राथमिकता देना सीखेगी?
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