कांग्रेस और भाजपा,दोनों ने हमेशा उत्तराखंडियों को बनाया अप्रैल फूल बनाया है। हम इन राष्ट्रीय दलों को अपनी ज़मीन में इस उम्मीद में जिताते चले आये हैं क़ि वो हमें बराबरी का इंसान समझेंगे और हमारा विकास करेंगे, मगर नेता लोग हमें बेवकूफ समझते हैं। हमारे वोटों से चुनाव जीतकर हर बार हमें अप्रैल फूल बना देते हैं।
हैरानी तो इस बात की होती है कि फण्ड न होने का रोना रोकर जो नेता विकास कार्यों की उपेक्षा करते हैं, उनके पास दलबदल कराने के लिए करोड़ों रूपए कहाँ से आ जाते हैं।
उत्तराखंड के लोग देश के अन्य राज्यों में भी रहते हैं और वहां भी उनकी घोर उपेक्षा की जाती है। दिल्ली में तो करीब 35 लाख उत्तराखंडियों के रहने का दावा किया जाता रहा है और एक भी विधायक उत्तराखंड मूल का नहीं है। क्या ये राजनीतिक दल डेमोक्रेसी का भी मजाक नहीं उड़ा रहे हैं? केजरीवाल जी दिल्ली में आपकी पार्टी के कितने विधायक हैं?
अब उत्तराखंड में जो राजनीतिक सर्कस चल रहा है, क्या आप सोचते हैं कि उससे हम उत्तराखंडियों को फायदा होगा? अगर आप ऐसा सोचते हैं तो मेरे भोले भले भाई बहनों जाग जाओ। ये आपको एक बार फिर से अप्रैल फूल बनाने की तैयारी है।
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